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पुरुष प्रजनन अंग और उसके कार्य Male Reproductive System in hindi



जैसा की आप जानते है , मानव लैंगिग रूप से जनन करने वाला सजीव है।  मानव में  जनन घटना के अन्तर्गत जनन पथ में शुक्राणुओ  जो सल्यन ( निषेचन ) जिसके जिसके युग्मनज ( जाएगोट ) का निर्माण होता है ,  आज पुरुष  जनन तंत्र यानि की
( MALE REPRODUCTIVE SYSTEM ) के बारे में जानेंगे। 



                                              पुरुष  जनन तंत्र     
                        Male Reproductive System


पुरुष जनन तंत्र शरीर के श्रोडि के भाग  में होता है , चित्र 1 अ )  इसके अंतर्गत-
1 -  एक जोड़ा वृषण   ( TESTIES ) 
2 - सहायक नलिका   ( ASSOSARY GLANDS )
3- एक जोड़ी ग्रंथिया   ( GLANDS  ) 
4 - बहा जननेंद्रिय होती है  ( PENIS ) 
                                                                                   

                                                       
( चित्र 1 )


नर का मुख्य जनन अंग उसका वृषण ( TESTIES )  होता है , चलिए हम  वृषण ( TESTIES ) के बारे में विस्तार से जानते है फिर हम आगे हम और कुछ नर जनन के बारे में  जानेंगे। 


1 - वृषण ( TESTIES )  -     यह मानव के नर जातियों में पाया जाता है ये  १ जोड़ी पाया जाता है जो की हमारे दोनों पैरो के मध्य में  लटके होते है हमारे वृषण में 250  से 300 तक वृषणपालिका पायी जाती है इन वृषणपालिका में छोटे छोटे कुछ नलिकाएं पायी  जाती है , इन नलिका को शुक्रजनक नलिका या ( Seminiferous Tubule)  कहते है। यही नलिका है जो नर में उसका शुक्राणु बनाने में सहायता करता है। 

हमारा  वृषण बहार क्यों पाया जाता है ? 





 

दो शुकनुजनक नलिका ( Seminiferous Tube ) के बीच की कोशिका को " अन्तराली कोशिका" या " लीडिक कोशिका" ( Lidik cell ) / ( INTERSTITIAL CELLS ) कहते है। शुक्रजनक नलिका के भीतर भाग की कोशिका दो प्रकार की बनी होती है 
        A - नर जर्म कोशिकाएं   ( Nar Jaarm Cells )
B - सरटोली कोशिकाएं  ( sartoli cells )

  नर जर्म कोशिकाएं अर्द्धसूत्री ( Miosis ) विभाजन करके हमारे में शुक्राणु (Sperm ) का निर्माण करते है , जबकि सरोली कोशिका जर्म कोशिकाओं को पोषण प्रदान करती है।  



 वीर्य ( Sperm ) -      पुरुष में शुक्राणु का जीवन काल सिर्फ 20 मिनट का ही होता है                                                  और यह वृषण के भीतर भाग में निर्मित होता है।  सभी  पुरुष में 1                                            बार में 7 ml   शुक्राणु बनते है। दोनों वृषण में बने शुक्राणु शुकवाहक ( VAS DEFFENCE ) नामक नस के साथ जुडी रहती है , फिर यह  शुकवाहक के सहायता से पेनिस ( penis) से बहार निकलता है।

                                    इसका pH मान लगभग 7.2 से  7.7 तक होता है।  


 2 -  सहायक नलिका  ( ASSOSARY TUBER )  -       नर सहायक नलिका के अन्तर्गत -
                                           
   A -  वृषण जालिका ( RATE TESTIE )
   B -  शुक्र वाहिका  ( VASA ENFRECIA )
    C -  अधिवृषण  ( EPIDAIMNIS )
     D -  शुक्र वाहक  ( VAS DEFFENCE )




                       

A -  अधिवृषण  ( Epididymis ) -     यह वृषण के बाहरी वाले परत होते है।  जिसे                                                                         हम अधिवृषण  के नाम से भी जानते है।  ये हमारे वृषण को सुरछा  प्रदान करता है इसी अंग के सहायता से ही कोई नर मादा की और आकर्षित होता है। 

  


वृषण की शुक्रजनक नलिका वृषण नलिका के माध्यम से शुकवाहिकाओ ( Vasa Effrercia )  में खुलती है।  यह शुक्रवाहिका वृषण से चलकर अधिवृषण  ( Epididymis ) में खुलती है , यह अधिवृषण शुकवाहक ( Vas Deffence ) की ओर बढ़ते और मूत्राशय  ( Uninary Bladder ) के ऊपर से आकर एक शुक्राशय की वाहिनी ( Seminal Vesicle ) में आती है और मूत्राशय  ( Uninary Bladder ) में से मूत्र मार्ग से होते हुए नर के पेनिस ( Penis ) के माध्यम से गुजरता हुआ बहार की ओर एक छिद्र के रूप में खुलता है। 





3 - सहायक ग्रंधिया  ( ASSOSARY GLANDS )  -  नर सहायक ग्रंथि के अन्तर्गत -

  A - एक जोड़ा शुक्राशय ग्रंथि   ( SEMINAL VESICLE  )
  B - एक जोड़ी बल्बोयूरेथल ग्रंथि   ( COWPER GLAND   )
  C - एक प्रोस्टेट ग्रंथि    ( PROSTATE GLAND   )

इन ग्रंथि से स्राव से शुक्रिय सेमिनल ( Seminal ) प्लाज्मा का निर्माण होता है।  जो फल , शकरा , कैल्शियम , और कुछ ( ऐंजाइम ) से भरा होता है।  


 

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