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मासिक चक्र - ( Menstrual Cycle In Hindi )

 

रजोस्राव अवस्था   2 - पुटकिय अवस्था   3 - अंडोत्सगी अवस्था   4 - ल्युटियन अवस्था / स्रावी अवस्था


हमेशा हसती खेलती लड़किया महीने के कुछ ही दिनों में दुःखी , शर्माती हुए नजर आती है। फिर लड़की ना कुछ कर पाती है , और न ही कही जा पति है। जी है हम बात कर रहे है स्त्रियों के पीरियड के बारे में। तो चलिए जानते है की ये कब कब आते है और किसे आते है , तथा इसका महत्व और भी बहुत कुछ।


पीरियड्स या मासिक धर्म  स्त्रियों को हर महीने योनि ( vagina ) से  होने वाले रक्त के स्राव को कहते है  जब लड़कियों को पहली बार पीरियड्स आती है तो उनको बहुत अधिक दर्द का सामना करना पड़ता है , तथा उनको बहुत शर्म सा महसूस होता है , और ये लगता है की कोई अपराध की जैसा। पहले के ज़माने में जब किसी लड़की को पीरियड्स आते थे तो ये कोई अपराथ सा लगता था ,  उनको धार्मिक कार्य तथा बहुत से काम करने से वंचित किया जाता था , ये विधि आज के समय में भी की जाती है। अगर हम कुतरत के नजर से देखे तो पीरियड्स जिसे रजोधर्म भी कहते है।  ये शारीरिक प्रक्रिया के लिए बहुत अधिक महत्तपूर्ण है क्युकी इसी प्रक्रिया की वजह से संसार चलता है , इसके बिना नए मानव की उत्पति असंभव है।


 प्रकृति ने महिला में  गर्भाशय ( Utreas ) फॉलोपियन नलिका ( Fallopian tube ) ओवरी  ( ovries ) और योनी ( vagina ) देकर महिलाओ  में नय बच्चे को जन्म देने का अहम भूमिका प्रदान करी है। इसलिए महिलाओ और पुरे समाज को महिलाओ पर गर्व  होना चाहिए न की शर्म और इसके बारे में हमारे समाज में खुल कर बात होनी चाहिए ताकि सभी को इसकी जरूरत का अंदाजा लग सके। पीरियड्स मासिक धर्म को एक सामान्य शारीरिक गतिविधि समझना चाहिए।  चलिए हम पीरियड्स पर अच्छे और विस्तार से समझते है। 



मासिक चक्र - ( Menstrual Cycle In Hindi ) : -


1 - मासिक चक्र सभी स्तनधारी मादा में पाया जाता है। 

2 - जब मासिक चक्र आरम्भ होता है , तो उसे रजोधर्म , रजोदर्शन या माहवारी भी कहते है। 

3 - यह 28 / 29 दिनों का होता है। 



रजोस्राव अवस्था   2 - पुटकिय अवस्था   3 - अंडोत्सगी अवस्था   4 - ल्युटियन अवस्था / स्रावी अवस्था




महिलाओ में पीरियड्स ( Periods ) आने का मतलब की महिला में उसके सभी जनन अंग स्वसत है , और ठीक से कार्य कर रहे है  पीरियड्स के वजह से ही महिला के शरीर में हार्मोन्स बनते है। जो शरीर को स्वस्त रखते है और गर्भ धारण के लिए तैयार करता है। 
पीरियड्स जो की 28 दिनों का है उसको हम 4 भाग में विभाजित करते है 


1 -  रजोस्राव अवस्था 

2 - पुटकिय अवस्था 

3 - अंडोत्सगी अवस्था 

4 - ल्युटियन अवस्था / स्रावी अवस्था 


रजोस्राव अवस्था   2 - पुटकिय अवस्था   3 - अंडोत्सगी अवस्था   4 - ल्युटियन अवस्था / स्रावी अवस्था



रजोस्राव अवस्था -  

यह पीरियड्स के 1 से 5 दिनों का होता है , जिसमे की 1 से 2 दिन में महिला सेक्स हॉर्मोन्स ( Female Sex Harmon's )  मात्रा कम होने लगता है , जिससे 3 से 5  दिन में गर्भाशय के गर्भाशय अन्तः भिति ( Endometrium ) टूट जाती है।  जिसके साथ अनिषेचित अडाणु , ऊतक , रक्त आदि योनि से बहार आ जाते है ये सभी क्रिया होने में 1 से 5 दिन का समय लगता है , और इस प्रक्रिया को ही रजोस्राव अवस्था है। 


 

पुटकिय अवस्था -

यह अवस्था 6 से 13 दिनों तक चलता है , FSH नमक हार्मोन अंडाशय  के अंदर प्राथमिक पुटिका को प्रेरित करता है , की प्राथमिक पुटिका के ऊपर और पुटिका की परत की निर्माण करे। जब परत बहुत अधिक हो जाती है  तब उसे ग्रेफियन पुटिका कहते है।  FSH इन  ग्रेफियन पुटिका को प्रेरित करता  की एस्ट्रोजन हार्मोन को स्रावित करने के लिए , यह एस्ट्रोजन गर्भाशय अन्तः भिति ( Endometrium) को पुनः निर्मित करती है। 


 अंडोत्सगी अवस्था -

यह अवस्था 14 का होता है , एक अवस्ता में LH नामक हार्मोन कि सहायता से   ग्रेफियन पुटिका को तोड़कर दूतियक अण्डक अंडाशय  बहार  निकल दिया  जाता है। इसी अवस्था  को ही अंडोत्सगी अवस्था Ovulation कहते। है  


रजोस्राव अवस्था   2 - पुटकिय अवस्था   3 - अंडोत्सगी अवस्था   4 - ल्युटियन अवस्था / स्रावी अवस्था




ल्यूटियम अवस्था / स्रावी अवस्था -

यह अवस्था 15 से 28 दिनों का होता है यह अवस्था में अगर  अंडाशय से निकले अडाणु शुक्राणु से निषेचित नहीं होता है तो यह योनि से बहार आ जाती है परन्तु जब अडाणु निषेचित हो जाता है तो वो  गर्भाशय अन्तः भिति ( Endometrium ) से जाकर चिपक जाते है तथा यह गर्भाशय अन्तः भिति के दीवारों को बनाये रखने का कार्य प्रोजेस्ट्रॉन का होता है।  जब हम हमने पिछली अवस्था में ग्रेफियन पुटिका को तोडा था , तब उसमे से एक अडाणु  बहार आयी थी, परतु जो बचे हुए ग्रेफियन पुटिका के संरचना में फिर ये LH नामक हार्मोन  प्रेरित  करता है , जिससे कोर्पस ल्युटयम को LH प्रेरित  करता है और प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन्स निकलते है। 



रजोस्राव अवस्था   2 - पुटकिय अवस्था   3 - अंडोत्सगी अवस्था   4 - ल्युटियन अवस्था / स्रावी अवस्था



पीरियड्स के  समय शरीर में परिवर्तन -


हार्मोन्स में परिवर्तन ( Harmon's Change ) -

पीरियड्स के शुरू के दिनों में एस्ट्रोजन हार्मोंस बढ़ना शुरू हो जाता है यह हैं हार्मोन्स शरीर को स्वस्त रखने में सहायता करता है , साथ ही यह गर्भाशय के अंदरी दीवारों को मखमली बनता है ताकि भूण वहा पोषण पाकर चिपका  रहे यह परत रक्त और टिस्सु के होते है। 


महत्व बिंदु -

1 - सभी महिलाओ को अपने पीरियड्स का डेट याद रखे , ताकि आप पहले  ही तैयार रहे। 

2 - इस समय आप अपने आप को किसी चीज  रोके , सामान दिनों के जैसा रहने की कोशिश करे  और आराम करे।  

3 - लड़कियों को पीरियड्स जल्दी और देर तक भी  आती है , तो इसमें चिंता न करे बल्कि आपको खुश होता चाहिए की आप माँ बन सकती है। 



रजोस्राव अवस्था   2 - पुटकिय अवस्था   3 - अंडोत्सगी अवस्था   4 - ल्युटियन अवस्था / स्रावी अवस्था







 







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